सोमवार, 29 नवंबर 2021

पृथ्वी और हम

 प्यारे बच्चों!

यह धरती कितनी बड़ी है न!

 बहुत बहुत बड़ी।

इतनी बड़ी कि इस पृथ्वी पर हम तुम बहुत छोटे हैं। बहुत ही छोटे।


 तुम भारत देश में रहते हो न! हमारी पृथ्वी पर ऐसे ही छोटे बड़े 195 देश हैं। इन देशों में सबसे बड़ा देश है रूस  और सबसे छोटा देश है वेटिकन सिटी।

 हमारा देश भारत इन में सातवें स्थान पर है।


हमारे देश में कुल 28 राज्य हैं और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन राज्यों में सबसे बड़ा राज्य है राजस्थान और सबसे छोटा राज्य है गोवा। इनमें उत्तर प्रदेश का चौथा स्थान है।


फिर हमारा गांव तो छोटा-सा है और उसमें भी छोटा-सा, प्यारा-सा हमारा स्कूल।


 स्कूल, जहाँ हमें हँसते-मुस्कुराते पढ़ना लिखना और सीखना है।


है न!



आकांक्षा मधुर

सम्पादक

नव किसलय पत्रिका

सोमवार, 22 नवंबर 2021

बिल्ली-चूहा

 बिल्ली बोलो म्याऊँ-म्याऊँ

 चूहा भागा बिल में


बिल्ली भागी दरवाजे के पीछे,

 चूहा निकला बिल से 


बिल्ली झट निकली,

चूहे को झट पकड़ी


पूजा वर्मा

कक्षा 6

उच्च प्राथमिक विद्यालय नाऊमुण्डा

सुकरौली, कुशीनगर

गुरुवार, 18 नवंबर 2021

चित्र लेखन

 आकांक्षा

कक्षा 5

उच्च प्राथमिक विद्यालय नाऊमुण्डा

सुकरौली, कुशीनगर


चित्रकथा


एक गाँव था। वहाँ पर एक चिड़िया थी। उसका नाम मींकी था। वह एक पेड़ पर रहती थी।वह पेड़ पर एक घोंसला बनाकर रहती थी। 




एक दिन मींकी चिड़िया के मित्र उससे मिलने आ रहे थे। वह पेड़ पर बैठकर उनका इंतजार कर रही थी। उसकी दोस्त चिड़ियाँ एक नदी पर पानी पीने गयी थीं। उन सबको नदी पर एक खरगोश मिला। वह एक बिल में रहता था। उसका नाम चीकू था। वह गाजर खा रहा था । 


खरगोश ने पूछा - तुम लोग यहाँ क्या करने आयी हो? चिड़ियाँ बोलीं- हम पानी पीने आए हैं। तभी शाम हो गयी चिड़ियों ने पानी पिया और अपने मित्र के घर चली गईं।

बुधवार, 17 नवंबर 2021

बाल प्रदर्शनी

 बाल प्रदर्शनी

बाल दिवस 2021

उच्च प्राथमिक विद्यालय नाऊमुण्डा

सुकरौली, कुशीनगर










दीपावली क्राफ्ट

 दीपावली क्राफ्ट

उच्च प्राथमिक विद्यालय नाऊमुण्डा

सुकरौली, कुशीनगर








गुरुवार, 11 नवंबर 2021

छठ की सैर

 छठ की सैर


कल मैं पापा के साथ दोपहर में नदी पर गया  था। मिट्टी की सीढ़ी थी। पापा उसी पर से नीचे उतरे रहे थे। पापा जल्दी-जल्दी चल रहे थे और मैं धीरे चल रहा था क्योंकि मुझे डर लग रहा था।


 पापा मुझे खींच रहे थे। फिर हम लोग धीरे-धीरे नीचे पहुँचे। नीचे मैंने देखा लोग चावल से रंगोली बना रहे थे। कुछ लोग केले और गन्ने का पेड़ लगा रहे थे।


कुछ वेदियाँ ऐसी थीं जो रंगी हीं नहीं थीं फिर हमने कुछ पत्थर देखा। मैं बोला "अगर कोई इस पत्थर को उठा ले तो मैं इस पर 'राम' नाम लिखकर इसको पानी में डाल दूँ। फिर हम घर लौट आए, फिर शाम को मैं छोटे बाबा के साथ मेला घूमने गया।


आरव मिश्र

गोरखनाथ, गोरखपुर