शुक्रवार, 6 मई 2022
सोमवार, 2 मई 2022
रविवार, 1 मई 2022
छाता
मेरे घर है एक छाता
वह मेरे मन को भाता
धूप हो या बारिश हो
सबसे यह मुझे बचाता
जब भी मैं बाहर जाता
साथ में छाता ले जाता
फिर जब वापस घर आता
छाता रखकर मुस्काता
गेहूँ की कटाई
प्रीति आज स्कूल नहीं आई
कर रही थी गेहूँ की कटाई
साथ थे उसके मम्मी-पापा
और छोटे बहन और भाई
शाम को सारा गेहूँ कट गया
तब जाकर वह घर आई
अगले दिन फिर काम बहुत था
करनी थी गेहूं की ढुलाई
कब बीतेगा काम ये भैया
कब हम कर पाएंगे पढ़ाई
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