रविवार, 1 मई 2022

छाता

 मेरे घर है एक छाता

 वह मेरे मन को भाता 


धूप हो या बारिश हो 

सबसे यह मुझे बचाता 


जब भी मैं बाहर जाता

 साथ में छाता ले जाता


 फिर जब वापस घर आता 

छाता रखकर मुस्काता