प्यारे बच्चों!
आज हम बात करेंगे दोस्त और दोस्ती (मित्र और मित्रता) पर।बच्चों! मुझे पता है, सभी के पास कोई न कोई मित्र (दोस्त) जरूर होता है और ये ज्यादातर स्कूल में होते हैं। जिस दिन आपका दोस्त स्कूल नहीं आता होगा, उस दिन बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता होगा, है ना?
चलो हम ये दोस्ती एक कविता के माध्यम से समझते हैं-
दोस्त जब उदास हो
उसके मन को गुदगुदा देना
इतना रिश्ता दोस्ती में जरूर रखना।
जब कोई उलझन हो
धीरे से सुलझा देना
इतना रिश्ता दोस्ती में जरूर रखना।
जब वो दुखी हो
उसको गले लगा लेना
और बस बोल देना- सब ठीक हो जायेगा
इतना रिश्ता दोस्ती में जरूर रखना।
जब उसे जरूरत हो
बिन बताये ही उसका साथ देना बस, इतना रिश्ता दोस्ती में जरूर रखना।
जब वो कुछ कहना चाहे
और वह कह न पाये
फिर भी तुम समझ जाना
इतना रिश्ता दोस्ती में जरूर रखना।
बच्चों! दोस्ती का जो रिश्ता होता है ना, बड़ा ही प्यारा होता है। अगर आपके पास कोई सच्चा और अच्छा दोस्त है, तो समझ लेना आपके पास ईश्वर का उपहार है।
- नीलम 'अवि'
तुम्हारी दोस्त