कम्पोजिट पूर्व माध्यमिक विद्यालय जंगल तिनकोनिया नम्बर- 3
चरगावां, गोरखपुर के कक्षा 1 एवं 2 के बच्चों द्वारा मिट्टी से बनाई गई मनमोहक कलाकृतियाँ
कम्पोजिट पूर्व माध्यमिक विद्यालय जंगल तिनकोनिया नम्बर- 3
चरगावां, गोरखपुर के कक्षा 1 एवं 2 के बच्चों द्वारा मिट्टी से बनाई गई मनमोहक कलाकृतियाँ
किसी गांव में दो दोस्त रहते थे। वे दोनों ग्वाला थे। वे एक साथ ही व्यापार करने जाते थे और साथ ही वापस घर लौटते थे।
एक दिन जब वे दोनों जा रहे थे तब रास्ते में उन्हें एक बीमार व्यक्ति दिखा। उसने ग्वालों से कहा- 'बेटा मुझे बहुत तेज भूख लगी है। क्या तुम मुझे कुछ खाने के लिए दोगे?'
ग्वाले ने अपनी बाल्टी में से एक लीटर दूध निकालकर उस बीमार व्यक्ति को दे दिया। तब उस व्यक्ति ने उन्हें 'बहुत-बहुत धन्यवाद' कहा। दोनों दोस्त घर लौट आए।
अगले दिन जब वे दोनों बाजार जा रहे थे तो उस स्थान पर जाकर देखा, वहाँ वह बीमार आदमी नहीं था। वे दोनों अपने काम पर चले गए। कुछ देर बाद वह व्यक्ति उस स्थान पर आ गया और शाम होने का इंतजार करने लगा। शाम को जब दोनों दोस्त घर लौट रहे थे तब उस व्यक्ति ने उन्हें बुलाकर कहा- 'बेटा दूध का मूल्य रख लो। कल मेरी तबीयत ठीक नहीं थी और मुझे बहुत भूख लगी थी। तुमने मुझे दूध दिया उसका बहुत-बहुत आभार।'
ग्वाले ने कहा- 'बाबा मैं दूध का मूल्य नहीं लूँगा। आप रख लीजिए। आपकी मदद करना तो हमारा कर्तव्य था।'
उस व्यक्ति ने दोनों दोस्तों को आशीर्वाद दिया फिर वे दोनों अपने अपने घर चले गए।
पूजा वर्मा
कक्षा 6
उच्च प्राथमिक विद्यालय नाऊमुण्डा
सुकरौली, कुशीनगर
Prize distribution and good luck party to class 5th for their bright future ahead.
PP NAUMUNDA
SUKRAULI, KUSHINAGAR
आज सुबह मैं होली खेल रहा था। मुझको अकेले खेलने में मजा नहीं आ रहा था। पापा भी होली खेलने चले गए थे। खेलते समय मेरी पिचकारी भी टूट गई थी, तब फूलमती मेरे लिए नई पिचकारी लेने गईं।
मैं खाना खाने बैठ गया। तभी पापा आए और मुझे ले गए। सड़क पर हम थोड़ी दूर ही चले थे तभी कुछ बच्चों ने मुझे घेर लिया और मेरे ऊपर पानी फेंकने लगे और मुझे गुलाल भी लगाए। गुलाल मेरे मुँह में घुस गया। मैं घर आ गया। घर आने के बाद मैं पिचकारी में रंग भर कर डालने गया। वहाँ पर भी दो-तीन लोगों ने मुझ पर गुलाल लगाया।
अपना रंग खरीद कर अकेले होली खेलने में मजा नहीं आता है। सड़क पर निकलो और कोई पानी ही फेंक दें तो बहुत मजा आता है।
-आरव मिश्रा
देश तो आजाद हो गया
पर मन मस्तिष्क अधूरा है
क्या आपको लगता है
कि भगत सिंह का सपना पूरा है?
आओ मिलकर प्रण लें
मन में दृढ़ संकल्प लें
एक नए युग का आगाज करें
जिसमें शांति हो
सद्भावना हो
सुविचार हों
स्वतंत्र सोच हो
और आत्मनिर्भरता हो
बच्चों! यह कविता पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि हम सब यह कैसे कर सकते हैं, हम तो इतने छोटे हैं। लेकिन प्यारे बच्चों! आप भले ही अभी यह सपना पूरा ना कर सकें लेकिन इसकी शुरुआत जरूर कर सकते हैं।
जैसे- आप अपने अंदर अच्छे आचरण लाएँ, सोचने-समझने की क्षमता विकसित करें, केवल नंबर लाने के लिए मत पढ़े बल्कि जो कुछ भी पढ़ें उसे समझें और उसका अनुसरण करें।
जो भी करें अपने बल पर करें। जैसे- परीक्षा में पास होने के लिए किसी की सिफारिश या नकल की कोशिश ना करें। खूब मेहनत करें, उसका परिणाम अवश्य ही अच्छा होगा।
जब आप इस तरह से खुद को तैयार करेंगे तभी तो उन वीर शहीदों का सपना पूरा होगा, जो हमें आजादी देने के लिए अपने प्राणों की बलि देकर चले गए।
-नीलम 'अवि'
आपकी दोस्त
प्यारे बच्चों!
होली का त्यौहार रंगों और प्रेम से सराबोर होता है। खूब आनंद भी आता है। होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।क्या आप जानते हैं कि होलिका दहन क्यों किया जाता है?
चलिए, मैं आपको बताती हूँ-
एक समय इस पावन धरा पर
भक्त प्रह्लाद ने जन्म लिया
हिरण्यकश्यप का पुत्र था वो
जो विष्णु भक्ति में लीन हुआ।
पिता माने स्वयं को ही ईश्वर
किन्तु प्रह्लाद ने इन्कार किया
क्रोधवश हिरण्यकश्यप ने
उसे मारने का संकल्प लिया।
प्यारे बच्चों!
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि वह आग से कभी नहीं जलेगी। अब आगे क्या हुआ -
भक्त प्रह्लाद को गोद में ले
होलिका आग में बैठ गई
भक्त प्रह्लाद तो बच गए
लेकिन होलिका जल गई।
आग से बचने को प्रह्लाद ने
विष्णु नाम का जप किया
क्रोधलिप्त हो अग्निदेव ने
होलिका का नाश किया।
और इस प्रकार बुराई पर अच्छाई की जीत हुई। इसी दिन को होलिका दहन के रूप में मनाते हैं।
होली की शुभकामनाएं।
आशा है आप सभी रंग-गुलाल से सराबोर प्रेमपूर्ण और सुरक्षित होली खेलेंगे।
-नीलम 'अवि'
आपकी दोस्त
रामू और श्यामू बचपन के मित्र थे। वे दोनों मिलजुल कर खाते पीते थे। एक दिन रामू लंच में पनीर की सब्जी और पूरियाँ लाया था। उसने श्यामू के साथ बैठकर खाया। श्यामू ने कहा- वाह! कितना स्वादिष्ट भोजन बना है।
खाने के बाद वे दोनों मैदान में फुटबॉल खेले। उसके बाद दोनों घर वापस लौट आए। वे दोनों एक साथ खेलते और पढ़ते थे।
दो दिनों के बाद शिवरात्रि का मेला लगा था। रामू और श्यामू मेला घूमने गए। उन दोनों ने गोलगप्पे खाए और चाट भी खाए। आगे आइसक्रीम वाला था। रामू और श्यामू आइसक्रीम खाए फिर झूला झूल कर वापस घर लौट आए।
पूजा वर्मा
कक्षा 6
उच्च प्राथमिक विद्यालय नाऊमुण्डा
सुकरौली, कुशीनगर
प्यारे दोस्तों!
सागर के बारे में तो आप जानते ही होंगे।
सागर अपने धैर्य और शांति के माध्यम से हमें बहुत कुछ सिखाता है।
यही बात आज मैं एक कविता के माध्यम से बताती हूँ-
सुनो सागर !
तुम्हारी लहरों की धुन सुनकर
ऐसा लगता है
जीवन का उत्थान-पतन
तुम में आकर ही खत्म हुआ है
सुनो सागर !
तुम्हारी लहरों की धुन सुनकर
ऐसा लगता है
यह हम मानव पर अट्टहास करती है
और कहती है
जीवन भर जो तुमने संचय किया
क्यों छोड़ आए मेरे पास आते-आते
सुनो सागर !
तुम्हारी लहरों की धुन सुनकर
ऐसा लगता है
जो लोग कभी बिछड़े थे
एक दूसरे से
तुम्हारे पास आकर मिल गए हों
सुनो सागर !
तुम्हारी लहरों की धुन सुनकर
ऐसा लगता है
तुम्हारी धुन ही एक शाश्वत सत्य है
बाकी सब मिथ्या है
सुनो सागर !
तुम्हारी लहरों की धुन सुनकर
ऐसा लगता है
तुममें ही चिर शांति है
समानता है
बाकी सब व्यर्थ है
हाँ ! तुम्हें सुनकर मुझे ऐसा ही लगता है।
-नीलम 'अवि '
आपकी दोस्त