आज सुबह मैं होली खेल रहा था। मुझको अकेले खेलने में मजा नहीं आ रहा था। पापा भी होली खेलने चले गए थे। खेलते समय मेरी पिचकारी भी टूट गई थी, तब फूलमती मेरे लिए नई पिचकारी लेने गईं।
मैं खाना खाने बैठ गया। तभी पापा आए और मुझे ले गए। सड़क पर हम थोड़ी दूर ही चले थे तभी कुछ बच्चों ने मुझे घेर लिया और मेरे ऊपर पानी फेंकने लगे और मुझे गुलाल भी लगाए। गुलाल मेरे मुँह में घुस गया। मैं घर आ गया। घर आने के बाद मैं पिचकारी में रंग भर कर डालने गया। वहाँ पर भी दो-तीन लोगों ने मुझ पर गुलाल लगाया।
अपना रंग खरीद कर अकेले होली खेलने में मजा नहीं आता है। सड़क पर निकलो और कोई पानी ही फेंक दें तो बहुत मजा आता है।
-आरव मिश्रा