किसी गांव में दो दोस्त रहते थे। वे दोनों ग्वाला थे। वे एक साथ ही व्यापार करने जाते थे और साथ ही वापस घर लौटते थे।
एक दिन जब वे दोनों जा रहे थे तब रास्ते में उन्हें एक बीमार व्यक्ति दिखा। उसने ग्वालों से कहा- 'बेटा मुझे बहुत तेज भूख लगी है। क्या तुम मुझे कुछ खाने के लिए दोगे?'
ग्वाले ने अपनी बाल्टी में से एक लीटर दूध निकालकर उस बीमार व्यक्ति को दे दिया। तब उस व्यक्ति ने उन्हें 'बहुत-बहुत धन्यवाद' कहा। दोनों दोस्त घर लौट आए।
अगले दिन जब वे दोनों बाजार जा रहे थे तो उस स्थान पर जाकर देखा, वहाँ वह बीमार आदमी नहीं था। वे दोनों अपने काम पर चले गए। कुछ देर बाद वह व्यक्ति उस स्थान पर आ गया और शाम होने का इंतजार करने लगा। शाम को जब दोनों दोस्त घर लौट रहे थे तब उस व्यक्ति ने उन्हें बुलाकर कहा- 'बेटा दूध का मूल्य रख लो। कल मेरी तबीयत ठीक नहीं थी और मुझे बहुत भूख लगी थी। तुमने मुझे दूध दिया उसका बहुत-बहुत आभार।'
ग्वाले ने कहा- 'बाबा मैं दूध का मूल्य नहीं लूँगा। आप रख लीजिए। आपकी मदद करना तो हमारा कर्तव्य था।'
उस व्यक्ति ने दोनों दोस्तों को आशीर्वाद दिया फिर वे दोनों अपने अपने घर चले गए।
पूजा वर्मा
कक्षा 6
उच्च प्राथमिक विद्यालय नाऊमुण्डा
सुकरौली, कुशीनगर