रविवार, 12 जुलाई 2020

दो भाई

दो भाई थे उनका नाम राजेश और रमेश था। बड़े भाई राजेश के पास बहुत धन-दौलत था और बहुत बड़ा घर था इसलिए उसे इस बात का घमंड था। जबकि छोटा भाई रमेश गरीब था। उसका घर झोपड़ी था लेकिन वह बहुत व्यवहार वाला था। राजेश बिना मेहनत के खाता था लेकिन रमेश पूरा दिन मेहनत करता तब उसकी पत्नी और बच्चे दो रोटी खा पाते थे।

 ऐसे ही एक बार दीपावली का त्यौहार आया तो राजेश के घर खूब सारे रंग-बिरंगे दिये और मिठाईयां थी जबकि रमेश के घर मिठाई खरीदने के भी पैसे नहीं थे। रमेश अपने बड़े भाई राजेश के पास गया और बोला- भैया प्लीज मुझे कुछ पैसे दे दो। राजेश ने उसे डांट कर अपने घर से भगा दिया।

 रमेश बहुत दुखी हुआ और वह जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ कर रोने लगा। तभी वहां पर एक परी आई। परी ने रमेश से पूछा -तुम क्यों रो रहे हो? रमेश ने परी को सारी बात बता दी। परी ने उसे एक अंगूठी दी। फिर परी ने कहा कि यह कोई मामूली अंगूठी नहीं है। तुम इससे जो कुछ भी मांगोगे या अंगूठी तुम्हें वह देगी।

 रमेश अंगूठी लिया और घर चला आया। उसने अपनी पत्नी को सारी बात बताई। अब उसके पास भी खूब सारे दीये और मिठाइयां हो गई। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ खुशी से दीपावली मनाया। अब रमेश का घर भी सुंदर हो गया और उसके घर भी खाने पीने वाली चीजें हो गईं।

 राजेश सोचने लगा कि अभी पाँच दिन पहले तो रमेश बहुत गरीब था अभी यह अमीर कैसे हो गया। ऐसे ही एक दिन राजेश छुप-छुपकर रमेश के घर में देख रहा था। तभी उसने देखा कि रमेश ने अंगूठी से दाल-चावल और नमक मांगा। उसके बाद अगले दिन ही राजेश छुपकर रमेश के घर गया। रात का समय था। रमेश, उसकी पत्नी और बच्चे सो रहे थे। रमेश वह अंगूठी पहने हुए था। राजेश ने धीरे से उसके हाथ से अंगूठी निकाल लिया और सुबह अपना सारा सामान समेटकर अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर जाने लगा।

 वह अपने परिवार को लेकर दूर जा रहा था। रास्ते में वह लोग नाव पर बैठे थे तब उसकी पत्नी ने पूछा कि आप हम लोग को लेकर कहां जा रहे हैं? तब राजेश ने अपनी पत्नी को सारी बात बता दी। उसकी पत्नी ने कहा कि अगर ऐसा है तो अभी इस अंगूठी से चावल मांग कर दिखाइए। राजेश ने जैसे ही अंगूठी से चावल मांगा, अंगूठी ने इतना ज्यादा चावल दे दिया कि नाव डूब गई।

 इधर रमेश के पास जितना कुछ था वह उसी में खुश रहने लगा और काम करने लगा। इसीलिए कहते हैं कि अधिक लालच और चोरी बुरी बात है।

 वंदना
 कक्षा 5 
प्राथमिक विद्यालय नाऊमुंडा
सुकरौली, कुशीनगर