प्यारे बच्चों!
होली का त्यौहार रंगों और प्रेम से सराबोर होता है। खूब आनंद भी आता है। होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।क्या आप जानते हैं कि होलिका दहन क्यों किया जाता है?
चलिए, मैं आपको बताती हूँ-
एक समय इस पावन धरा पर
भक्त प्रह्लाद ने जन्म लिया
हिरण्यकश्यप का पुत्र था वो
जो विष्णु भक्ति में लीन हुआ।
पिता माने स्वयं को ही ईश्वर
किन्तु प्रह्लाद ने इन्कार किया
क्रोधवश हिरण्यकश्यप ने
उसे मारने का संकल्प लिया।
प्यारे बच्चों!
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि वह आग से कभी नहीं जलेगी। अब आगे क्या हुआ -
भक्त प्रह्लाद को गोद में ले
होलिका आग में बैठ गई
भक्त प्रह्लाद तो बच गए
लेकिन होलिका जल गई।
आग से बचने को प्रह्लाद ने
विष्णु नाम का जप किया
क्रोधलिप्त हो अग्निदेव ने
होलिका का नाश किया।
और इस प्रकार बुराई पर अच्छाई की जीत हुई। इसी दिन को होलिका दहन के रूप में मनाते हैं।
होली की शुभकामनाएं।
आशा है आप सभी रंग-गुलाल से सराबोर प्रेमपूर्ण और सुरक्षित होली खेलेंगे।
-नीलम 'अवि'
आपकी दोस्त