प्यारे दोस्तों!
सागर के बारे में तो आप जानते ही होंगे।
सागर अपने धैर्य और शांति के माध्यम से हमें बहुत कुछ सिखाता है।
यही बात आज मैं एक कविता के माध्यम से बताती हूँ-
सुनो सागर !
तुम्हारी लहरों की धुन सुनकर
ऐसा लगता है
जीवन का उत्थान-पतन
तुम में आकर ही खत्म हुआ है
सुनो सागर !
तुम्हारी लहरों की धुन सुनकर
ऐसा लगता है
यह हम मानव पर अट्टहास करती है
और कहती है
जीवन भर जो तुमने संचय किया
क्यों छोड़ आए मेरे पास आते-आते
सुनो सागर !
तुम्हारी लहरों की धुन सुनकर
ऐसा लगता है
जो लोग कभी बिछड़े थे
एक दूसरे से
तुम्हारे पास आकर मिल गए हों
सुनो सागर !
तुम्हारी लहरों की धुन सुनकर
ऐसा लगता है
तुम्हारी धुन ही एक शाश्वत सत्य है
बाकी सब मिथ्या है
सुनो सागर !
तुम्हारी लहरों की धुन सुनकर
ऐसा लगता है
तुममें ही चिर शांति है
समानता है
बाकी सब व्यर्थ है
हाँ ! तुम्हें सुनकर मुझे ऐसा ही लगता है।
-नीलम 'अवि '
आपकी दोस्त