देश तो आजाद हो गया
पर मन मस्तिष्क अधूरा है
क्या आपको लगता है
कि भगत सिंह का सपना पूरा है?
आओ मिलकर प्रण लें
मन में दृढ़ संकल्प लें
एक नए युग का आगाज करें
जिसमें शांति हो
सद्भावना हो
सुविचार हों
स्वतंत्र सोच हो
और आत्मनिर्भरता हो
बच्चों! यह कविता पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि हम सब यह कैसे कर सकते हैं, हम तो इतने छोटे हैं। लेकिन प्यारे बच्चों! आप भले ही अभी यह सपना पूरा ना कर सकें लेकिन इसकी शुरुआत जरूर कर सकते हैं।
जैसे- आप अपने अंदर अच्छे आचरण लाएँ, सोचने-समझने की क्षमता विकसित करें, केवल नंबर लाने के लिए मत पढ़े बल्कि जो कुछ भी पढ़ें उसे समझें और उसका अनुसरण करें।
जो भी करें अपने बल पर करें। जैसे- परीक्षा में पास होने के लिए किसी की सिफारिश या नकल की कोशिश ना करें। खूब मेहनत करें, उसका परिणाम अवश्य ही अच्छा होगा।
जब आप इस तरह से खुद को तैयार करेंगे तभी तो उन वीर शहीदों का सपना पूरा होगा, जो हमें आजादी देने के लिए अपने प्राणों की बलि देकर चले गए।
-नीलम 'अवि'
आपकी दोस्त