प्यारे बच्चो !
धातु! मेटल! (Metals)..
तो क्या होती है धातु?
एक आम सा लफ़्ज़ मगर क्या तुम इस के बिना अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी की कल्पना भी कर सकते हो?
तुम्हारे पेन की निब से लेकर तुम्हारे स्कूल की घंटी तक, रसोई के बर्तनों से लेकर स्कूटर-कार तक, ये सभी धातुओं से ही तो बने हैं। और जो वस्तुएं किसी धातु से नहीं बनीं, वो भी तो धातुओं से बने औजारों और मशीनों के बिना बन पानी बेहद कठिन थीं।
और हाँ! ऐसा कोई आज ही नहीं है। मानव सदियों से ही विभिन्न धातुओं को अपने उपयोग में लाता रहा है। ये और बात कि उनके उपयोग के तरीके समय के साथ बदलते रहे हैं मगर यकीन मानो प्यारे दोस्तो! धातुओं की दुनिया है बड़ी रंग-बिरंगी और अजब-गजब भी। बेहद विस्तृत और मजेदार।
नहीं?
पता है तुम तो ऐसा ही कहोगे। तुमने अपनी किताबों के पन्नों पर उन्हें ऐसा ही पाया होगा। बेरंग, कठोर और बोरिंग भी। मगर ऐसा है नहीं।
उदाहरण के तौर पर क्या तुम्हें पता है कि लीथियम नामक धातु एक बेहद बढ़िया तैराक है जो पानी में बेहद मुश्किल से डूबती है। क्यों? अरे भई वो इस लिए क्योंकि एक तरह से लीथियम पानी से दोगुनी हल्की होती है।
इसी प्रकार एक और धातु तो ऐसी है जिसे पानी की तरह तरल अवस्था में ही रहना अच्छा लगता है, याने कि liquid form में। यहाँ तक कि शून्य से छत्तीस डिग्री नीचे भी वो तरल ही बनी रहती है। हैं? कौन सी? अरे वही जो तुम्हारे बुखार को मापने के काम आती है थर्मामीटर में। पारद, या सामान्य भाषा में पारा या फिर Mercury. एक ही बात है। तुम चाहे जिस नाम से पुकार लो।
अब और कितने उदाहरण दें। कितना कहें कितना लिखें। हम तो लिखते-कहते थक जाएंगे भई! तुम पढ़ते-सुनते तो न थकोगे ?
देख लो! क्या कहते हो?
तो चलें फिर धातुओं की रंग बिरंगी जादुई दुनिया में?
और कहानियाँ? अरे वो तो तुमको तुम्हारे दुग्गल अंकल सुना ही देंगे साथ-साथ में। सच में।
तुम्हारे जवाब की प्रतीक्षा में,
तुम्हारे
दुग्गल अंकल!
-Mannu Duggal