शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

National Education Policy 2020

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

 स्कूली शिक्षा-

1. नए स्तर- 5+3+3+4
 5 - तीन साल प्री स्कूल फिर कक्षा 1-2 (आयु 3-8 वर्ष)
 3 - कक्षा 3-5 (आयु 8-11 वर्ष)
 3 - कक्षा 6-8 (आयु 11-14 वर्ष)
 4 - कक्षा 9-12 (आयु 14-18 वर्ष)


2. आंगनवाड़ी की महत्ता बढ़ेगी। दलिया बांटने, पोलियो ड्रॉप पिलाने, सर्वे करने वाले तमगे से निकलकर रोचक शिक्षण, खेल और बाल विकास के साथ बच्चों को स्कूली शिक्षा के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी आंगनवाड़ी को मिलेगी।


3. रोचक शिक्षण, गतिविधियों का प्रयोग, खोजी शिक्षा, तर्क-अवलोकन आधारित शिक्षण जैसी शिक्षण विधियों पर अधिक जोर दिया गया है। यूं तो यह पहले से ही अपनाया जा चुका है लेकिन अब और व्यापक होगा।


4. फ्रेमवर्क बच्चों के लिए ही नहीं अभिभावकों के लिए भी गाइड जैसा होगा।


5. 'बाल वाटिका' और 'आश्रमशाला' जैसे नए शब्द शिक्षा विभाग का हिस्सा बनेंगे। बालवाटिका यानी प्री-स्कूल और आश्रमशाला यानी प्री-स्कूल इन ट्राईबल एरिया।


6. ECCE- क्वालिफाइड टीचर अस्तित्व में आएंगे जो बाल वाटिका में शिक्षक होंगे। आंगनबाड़ी को भी ट्रेनिंग देकर ECCE-ट्रेन्ड बनाया जाएगा। यह ट्रेनिंग ऑनलाइन भी होगी, डीटीएच और स्मार्टफोन के माध्यम से भी।
ECCE- Early Childhood Care and Education.


7. ECCE का चार्ज MHRD, WCD (महिला व बाल विकास मंत्रालय) और HFW(स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय) को दिया जाएगा।


8. वॉलिंटियर या समुदाय से कोई भी स्वैच्छिक रूप से बच्चों के सीखने-सिखाने में सहायता कर सकेगा। वह शिक्षकों की जगह नहीं होगा बल्कि बच्चों की सहायता (वन-वन-ट्यूटरिंग) के लिए होगा।


9. लोकल पब्लिक लाइब्रेरी की बात कही गई है। पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्कूल के साथ-साथ गांव में भी लाइब्रेरी संचालित की जाएगी।


10. ड्रॉपआउट के समाधान के रूप में हॉस्टल की व्यवस्था (विशेषकर प्रवासी मजदूरों के बच्चों के लिए) की जाएगी।


11. सोशल वर्कर्स, एनजीओ स्कूल से जुड़ सकेंगे।


12. ओपन स्कूलिंग हर स्तर पर उपलब्ध रहेगी। A,B,C लेवल होंगे क्रमशः कक्षा 3, 5 और 8 के समानांतर।


13. स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।


14. निष्ठा के द्वारा बच्चों का हॉलिस्टिक डेवलपमेंट किया जाएगा।


15. विषय चुनने में आजादी बढ़ जाएगी। 
Artificial Intelligence, Design Thinking, Holistic Health, Organic Living,
Environmental Education, Global Citizenship Education (GCED) जैसे विषय भी स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनेंगे।


16. कक्षा 5 तक, यदि संभव हो तो कक्षा 8 तक, मातृभाषा/ क्षेत्रीय भाषा को वरीयता दी जाएगी। त्रिभाषा फार्मूला अच्छा है। कोई भाषा किस राज्य पर थोपी नहीं जाएगी। बच्चों द्वारा चुनी गई तीन भाषाओं में से दो भाषाएं भारतीय होनी चाहिए।


17. कक्षा 6-8 के लिए "एक भारत - श्रेष्ठ भारत" पहल के अंतर्गत 'द लैंग्वेज ऑफ इंडिया' एक्टिविटी कराई जाएगी। इसके जरिए बच्चे विभिन्न क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति और उनकी भाषाओं से परिचित होंगे।


18. संस्कृत और सांकेतिक भाषा को महत्ता दी जाएगी।


19. कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए फन कोर्स होंगे-
Carpentry, electric work, metal work, gardening, pottery etc.
इनकी क्षेत्रीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी।


20. नैतिक शिक्षा को 'व्यवहारिक नैतिक विकास' के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसका क्रियान्वयन लाभदायक सिद्ध होगा।

क्रमशः...

©आकांक्षा मधुर

NEP 2020

National Education Policy 2020 (English) Pdf

National Education Policy 2020 (Hindi) pdf

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु-

मंगलवार, 28 जुलाई 2020

लॉक डाउन में पढ़ाई

अमन
कक्षा 3
प्राथमिक विद्यालय नाऊमुंडा
सुकरौली, कुशीनगर

लॉक डाउन के कारण पापा घर पर बैठे हैं। कोई काम नहीं कर रहे  हैं। भइया का एडमिशन भी कोरोना के कारण नहीं हो पाया है। स्कूल पर पढ़ाई नहीं होता है इसलिए घर पर पढ़ते हैं। स्कूल से फोन पर काम आता है उसको पूरा करता हूँ।
लॉक डाउन में ऐसे ही पढ़ाई हो रही है।

रविवार, 26 जुलाई 2020

भूखे बच्चे की मदद

आज का विषय था-

आप कहीं घूमने गए हैं।
आपको जोर से भूख लगी।
आपने खाने का कोई सामान खरीदा।
तभी आपको एक भूखा बच्चा दिखाई देता है।
 आप क्या करेंगे?

बच्चों के उत्तर इस प्रकार रहे-

1. हम अपना खाने का सामान उस भूखे बच्चे को दे देंगे और अपने लिए दूसरा सामान खरीद लेंगे।

2. हम अपने खाने के सामान में से आधा उस भूखे बच्चे को दे देंगे। आधा खुद खा लेंगे।

3. हम उस भूखे बच्चे को बुलाएंगे और खाने का सामान मिल-बाँट कर खा लेंगे।

4. हम जल्दी से दुबारा दुकान पर जाएंगे और उस बच्चे के लिए कुछ खाने का सामान लेकर आएंगे। उसको देंगे। अगर हमारे बैग में कोई खाने का सामान होगा तो उसको दे देंगे।


आप भी अपने बच्चे से यह सवाल पूछें और उनसे मिले जवाब हमें मेल करें studentscorner1411@gmail.com पर।

गुरुवार, 23 जुलाई 2020

हम और हमारा स्कूल

वंदना पासवान
कक्षा 5
प्राथमिक विद्यालय नाऊमुंडा सुकरौली कुशीनगर

आज हमारे स्कूल में हमारा नया एडमिशन हुआ है। हमारे स्कूल का पहला दिन बहुत अच्छा गया। दूसरे दिन हमें स्कूल में हमारे नए नए दोस्त मिल गए। फिर हम और हमारे दोस्त मिलकर बहुत सारी चीजें बनाए और बहुत मजा किए। 

हम और हमारे दोस्त स्कूल में टीचर के साथ मिलकर लाइब्रेरी बनाए और खेलने के लिए खूब सारे गेम बनाए। खुद से पहाड़ा की कॉपी बनाए। खूब सारे चित्र बनाए। ऐसे ही हर शनिवार को खूब सारे गेम बनाए।

 हम हमारे दोस्तों के साथ रहने लगे और पढ़ने लगे। फिर परीक्षा दिए। उसके बाद हम लोग पार्क और म्यूजियम घूमने गए और तारामंडल भी देखे। हम लोग तीन पार्क में घूमे वहां पर एक्सरसाइज भी किए। कई तरह के झूले पर खेले। खूब सारी मौज मस्ती किए और फिर हंसते हंसते घर चले आए।

शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

रास्ते में मिली घायल चिड़िया

आज का सवाल था- 

आप स्कूल जा रहे हैं। रास्ते में आपको एक घायल चिड़िया मिली। वह उड़ नहीं पा रही है। आप क्या करेंगे?

बच्चों के उत्तर कुछ इस प्रकार थे-

1. हम उसकी मरहम पट्टी करेंगे। दवा लगाएंगे। फिर घर ले जाएंगे। तब उड़ेगी।

2. हम उस घायल चिड़िया को डॉक्टर के पास ले जाएंगे। उसका इलाज कराएंगे। जब वह स्वस्थ हो जाएगी तब उसे उसके घोसले में छोड़ देंगे।

3. पहले हम उस घायल चिड़िया को उठाएंगे। उसे सहलाएंगे। ज्यादा टाइम रहा तो उसे हॉस्पिटल ले जाएंगे। नहीं तो उसे अपने साथ स्कूल ले जाएंगे। स्कूल में दवा रहती है। उसे वही दवा लगाएंगे। ठीक हो जाने पर उसे उड़ा देंगे। इस तरह हमारा दोनों काम हो जाएगा। स्कूल भी चले जाएंगे और चिड़िया भी बच जाएगी।

4. हम चिड़िया को उठाएंगे। घर ले आएंगे। उसे दाना खिलाएंगे। दवा लगाएंगे। मम्मी से बोलेंगे कि इसे देखिएगा। जब तक मैं स्कूल से घर ना जाऊं इसका ध्यान रखिएगा।


आप भी अपने बच्चों से पूछें यह सवाल।
 आपको मिले अनोखे जवाब हमें मेल करें studentscorner1411@gmail.com पर।

गुरुवार, 16 जुलाई 2020

लोहे का किस्सा

प्यारे दोस्तो! 

उम्मीद है तुम सभी चंगे भले तंदुरुस्त होंगे और लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे होंगे। कहीं बोर तो नहीं हो रहे? अगर ऐसा कुछ है तो चलो अच्छा इस बार हम शुरुआत एक कहानी से करते हैं। धातुओं पर तो बात होती ही रहेगी। 

कहानी कुछ यूं है कि येरूसलम देश के बादशाह सुलेमान को अपने समय में दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता था। उसी ने येरूसलम का भव्य मंदिर भी बनवाया था। जब वो मंदिर पूरा हुआ तो उसने उन सभी कारीगरों को धन्यवाद देने के लिए एक शानदार भोज का आयोजन किया जिन्होंने उस मंदिर को बनाने में अपना श्रम लगाया था।

 तो हुआ यूं कि जब सभी जने उस शानदार दावत का लुत्फ ले रहे थे। अचानक बादशाह सुलेमान की गंभीर और रौबदार आवाज ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। 
'इस मंदिर के निर्माण में किसने सबसे अधिक योगदान दिया है?'
बादशाह का सवाल तो सीधा-सा था मगर सरल बिल्कुल न था। 
आखिर कौन है कि जिसकी मेहनत के बिना ये मंदिर बन पाना लगभग असंभव होता? 

एक बार फिर बादशाह का सवाल हवा में गूंज गया। 
जवाबों और दावों की लड़ी-सी लग गई प्यारे बच्चो। क्या मिस्त्री, क्या बढ़ई, क्या नक्काशी करने वाले और क्या मजदूर, सभी इस जवाब पर अपना दावा ठोक रहे थे। और वो सभी अपनी अपनी जगह सही भी थे।

 मिस्त्रियों और कारीगरों के बिना भवन कैसे बनता और लकड़ी के काम बढ़ई के बिना कैसे होते। नक्काशी करने वाले कारीगरों के बिना मंदिर भव्य कैसे दिखता और मज़दूर! मज़दूर अगर मंदिर की नींव ही न खोदते और मेहनत से काम न करते तो भी मंदिर कैसे पूरा होता? 

मगर बादशाह सुलेमान को ऐसे ही बुद्धिमान नहीं समझा जाता था। उसने एक एक करके सभी से पूछना शुरू किया। शुरुआत उसने मिस्त्री दल के मुखिया से ही की।
'तुम्हारे औज़ार किसने बनाए?'
'लोहार ने बादशाह सलामत।'
'और तुम्हारे औज़ार जिनसे तुमने नक्काशी की?'
'लोहार ने हुज़ूर!' नक्काशी करने वाले कारीगरों ने जवाब दिया। 
'और तुम्हारे तसले कुदाल फावड़े किसने बना कर दिए?'
'लोहार ने बादशाह सलामत!' मजदूरों का भी जवाब वही था। 

'तो जान लो आप सभी! इस मंदिर का असली निर्माता कोई और नहीं बल्कि लोहार है। लोहा कूटने वाला।' बादशाह सुलेमान का फैसला सभी ने दिल से कुबूल किया। 

बेशक ये एक दंतकथा एक कहानी हो सकती है दोस्तो! मगर है ये सच के बेहद करीब। 
शायद इसीलिए धातु या मेटल का नाम सुनते ही हम सभी के ज़हन में जो एक सबसे पहला नाम कौंधता है वो “लोहा” ही तो है। एक बहुतायत में पाई जाने वाली धातु और शायद सबसे अधिक उपयोग में भी लाई जाने वाली धातु, लोहा ही तो है। और सच कहें तो बात केवल रोज़मर्रा के औजारों मशीनों और उपयोगिता की ही नहीं है। 

बात तो दरअसल इस से भी कुछ अधिक ही है। 
और वो क्या है? 
तीन ग्राम लोहा! 
अब भला इसका क्या मतलब हुआ? 
तो दोस्तो! मानव शरीर में कुल लोहे की मात्रा लगभग इतनी-सी ही है। बस एक चुटकी जितनी। मगर यकीन मानो अगर किसी तरीके से ये सारा लोहा मानव शरीर से निकाल दिया जाए तो उसका जीवित रहना लगभग असंभव होगा। 

सच में। मगर क्यों? 
ये अगली बार। हाँ, तुम अगर इस से पहले खुद ही खोज पाओ तो यकीनन दुग्गल अंकल को बेहद खुशी होगी। 
तो अगली कड़ी में हम इसी धातु के बारे में और बातें करेंगे। तब तक के लिए तो हमारी ओर से तुम सभी को आशीष। 

आप सभी का दोस्त 
मनु दुग्गल।

बुधवार, 15 जुलाई 2020

रास्ते में गिरे हुए मिले पैसे

बच्चों से एक सवाल पूछा गया।

 सवाल यह कि आप कहीं जा रहे हों और रास्ते में आपको ₹100 गिरे हुए मिले तो आप क्या करेंगे?

 शुरू में कुछ बच्चों ने कहा कि हमें तो ₹100 मिले ही नहीं कभी। तो हम क्या करेंगे🤔
 लेकिन जब स्पष्ट रूप से कहा गया कि अगर गिरे हुए मिले ₹100, तो सोचो क्या करोगे उन पैसों का?

बच्चों ने अब जो बातें कहीं वह कुछ ऐसे हैं-

 कुछ बच्चों ने कहा कि पहले वो देखेंगे, पता करेंगे कि वह पैसा किसका है। जिसका पैसा है वह मिल जाता है तो उसे वह पैसा वापस कर देंगे। अगर नहीं पता चला तो उस पैसे से वो पेंसिल, रबर, कटर और कॉपी खरीद लेंगे।
कुछ बच्चों ने बताया कि वह पैसे गुल्लक में रख देंगे। जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग करेंगे।

वहीं दो बच्चों ने यह भी कहा कि पहले वह पता करने की कोशिश करेंगे कि पैसा किसका है। लेकिन रास्ते में पैसा गिरा है, वह आदमी जा चुका है तो वह पैसे ले लेंगे और कोई जरूरतमंद दिखेगा, जिसे पैसों की जरूरत हो, तो उसे दे देंगे। अगर कोई बच्चा ऐसा दिखता है जो अनाथ हो या जिसे पैसे की जरूरत हो तो उसे पैसे नहीं देंगे क्योंकि वह छोटा है। वह नहीं जानता कि पैसे का उपयोग कैसे करना है इसलिए उसे कुछ खरीद कर दे देंगे। इस तरह आया हुआ पैसा लोगों की मदद करने में लगा देंगे।

 बच्चे तो अपने आप में जवाबों की खान होते हैं। यह सवाल आप भी अपने बच्चों से पूछिएगा और अगर आपको भी बच्चों से कुछ खास जवाब मिलते हैं तो जरूर हमें मेल कीजिएगा studentscorner1411@gmail.com पर।

रविवार, 12 जुलाई 2020

दो भाई

दो भाई थे उनका नाम राजेश और रमेश था। बड़े भाई राजेश के पास बहुत धन-दौलत था और बहुत बड़ा घर था इसलिए उसे इस बात का घमंड था। जबकि छोटा भाई रमेश गरीब था। उसका घर झोपड़ी था लेकिन वह बहुत व्यवहार वाला था। राजेश बिना मेहनत के खाता था लेकिन रमेश पूरा दिन मेहनत करता तब उसकी पत्नी और बच्चे दो रोटी खा पाते थे।

 ऐसे ही एक बार दीपावली का त्यौहार आया तो राजेश के घर खूब सारे रंग-बिरंगे दिये और मिठाईयां थी जबकि रमेश के घर मिठाई खरीदने के भी पैसे नहीं थे। रमेश अपने बड़े भाई राजेश के पास गया और बोला- भैया प्लीज मुझे कुछ पैसे दे दो। राजेश ने उसे डांट कर अपने घर से भगा दिया।

 रमेश बहुत दुखी हुआ और वह जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ कर रोने लगा। तभी वहां पर एक परी आई। परी ने रमेश से पूछा -तुम क्यों रो रहे हो? रमेश ने परी को सारी बात बता दी। परी ने उसे एक अंगूठी दी। फिर परी ने कहा कि यह कोई मामूली अंगूठी नहीं है। तुम इससे जो कुछ भी मांगोगे या अंगूठी तुम्हें वह देगी।

 रमेश अंगूठी लिया और घर चला आया। उसने अपनी पत्नी को सारी बात बताई। अब उसके पास भी खूब सारे दीये और मिठाइयां हो गई। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ खुशी से दीपावली मनाया। अब रमेश का घर भी सुंदर हो गया और उसके घर भी खाने पीने वाली चीजें हो गईं।

 राजेश सोचने लगा कि अभी पाँच दिन पहले तो रमेश बहुत गरीब था अभी यह अमीर कैसे हो गया। ऐसे ही एक दिन राजेश छुप-छुपकर रमेश के घर में देख रहा था। तभी उसने देखा कि रमेश ने अंगूठी से दाल-चावल और नमक मांगा। उसके बाद अगले दिन ही राजेश छुपकर रमेश के घर गया। रात का समय था। रमेश, उसकी पत्नी और बच्चे सो रहे थे। रमेश वह अंगूठी पहने हुए था। राजेश ने धीरे से उसके हाथ से अंगूठी निकाल लिया और सुबह अपना सारा सामान समेटकर अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर जाने लगा।

 वह अपने परिवार को लेकर दूर जा रहा था। रास्ते में वह लोग नाव पर बैठे थे तब उसकी पत्नी ने पूछा कि आप हम लोग को लेकर कहां जा रहे हैं? तब राजेश ने अपनी पत्नी को सारी बात बता दी। उसकी पत्नी ने कहा कि अगर ऐसा है तो अभी इस अंगूठी से चावल मांग कर दिखाइए। राजेश ने जैसे ही अंगूठी से चावल मांगा, अंगूठी ने इतना ज्यादा चावल दे दिया कि नाव डूब गई।

 इधर रमेश के पास जितना कुछ था वह उसी में खुश रहने लगा और काम करने लगा। इसीलिए कहते हैं कि अधिक लालच और चोरी बुरी बात है।

 वंदना
 कक्षा 5 
प्राथमिक विद्यालय नाऊमुंडा
सुकरौली, कुशीनगर

शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

बुधवार, 8 जुलाई 2020

Global warming

Name - Shashwat Jaiswal 
Class- 8th
Bhartiyam Public school 
Deoria, U.P.

 Essay - Global Warming

 global warming has posed a great threat to mankind in recent times. During the last ten years, it has increased to dangerous levels. Never before the earth became as warm as it has been of late. There is clear indication that our planet earth is getting womer day-by-day. Scientists are afraid that the earth might be destroyed soon.

The North pole and South pole have started melting gradually. As a result destruction & damage to marine life has become critical due to rising temperature of sea water.

 The Gangotri Glacier is reported to have been shrieking over the last few years. Rainfall recorded in different parts of the world has been quite irregular.

These symptoms Confirm the incidence of growing temperature on the earth. There are various causes for the earth getting warmer. The major reason for this global warming are large scale deforestation, Consumption of fossil fuels for transport, industrial and cooking purposes.

सोमवार, 6 जुलाई 2020

धातुओं की कहानी

प्यारे बच्चो ! 
धातु! मेटल! (Metals)..

 तो क्या होती है धातु?
 एक आम सा लफ़्ज़ मगर क्या तुम इस के बिना अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी की कल्पना भी कर सकते हो?

 तुम्हारे पेन की निब से लेकर तुम्हारे स्कूल की घंटी तक, रसोई के बर्तनों से लेकर स्कूटर-कार तक, ये सभी धातुओं से ही तो बने हैं। और जो वस्तुएं किसी धातु से नहीं बनीं, वो भी तो धातुओं से बने औजारों और मशीनों के बिना बन पानी बेहद कठिन थीं।

और हाँ! ऐसा कोई आज ही नहीं है। मानव सदियों से ही विभिन्न धातुओं को अपने उपयोग में लाता रहा है। ये और बात कि उनके उपयोग के तरीके समय के साथ बदलते रहे हैं मगर यकीन मानो प्यारे दोस्तो! धातुओं की दुनिया है बड़ी रंग-बिरंगी और अजब-गजब भी। बेहद विस्तृत और मजेदार। 
नहीं? 
पता है तुम तो ऐसा ही कहोगे। तुमने अपनी किताबों के पन्नों पर उन्हें ऐसा ही पाया होगा। बेरंग, कठोर और बोरिंग भी। मगर ऐसा है नहीं। 

उदाहरण के तौर पर क्या तुम्हें पता है कि लीथियम नामक धातु एक बेहद बढ़िया तैराक है जो पानी में बेहद मुश्किल से डूबती है। क्यों? अरे भई वो इस लिए क्योंकि एक तरह से लीथियम पानी से दोगुनी हल्की होती है।
 
इसी प्रकार एक और धातु तो ऐसी है जिसे पानी की तरह तरल अवस्था में ही रहना अच्छा लगता है, याने कि liquid form में। यहाँ तक कि शून्य से छत्तीस डिग्री नीचे भी वो तरल ही बनी रहती है। हैं? कौन सी? अरे वही जो तुम्हारे बुखार को मापने के काम आती है थर्मामीटर में। पारद, या सामान्य भाषा में पारा या फिर Mercury. एक ही बात है। तुम चाहे जिस नाम से पुकार लो। 

अब और कितने उदाहरण दें। कितना कहें कितना लिखें। हम तो लिखते-कहते थक जाएंगे भई! तुम पढ़ते-सुनते तो न थकोगे ?
 देख लो! क्या कहते हो?
 तो चलें फिर धातुओं की रंग बिरंगी जादुई दुनिया में? 
और कहानियाँ? अरे वो तो तुमको तुम्हारे दुग्गल अंकल सुना ही देंगे साथ-साथ में। सच में। 

तुम्हारे जवाब की प्रतीक्षा में, 
तुम्हारे 
दुग्गल अंकल!

-Mannu Duggal

शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

शिक्षकों के नाम विद्यार्थी का पत्र

मेरे आदरणीय अध्यापक/अध्यापिका 

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आप जैसा शिक्षक मुझे मिला।

आप लोग हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हम लोग कितने भी अमीर रहें या गरीब किंतु आप लोगों के बिना हमारा जीवन व्यर्थ है। क्योंकि जो हमारे संस्कार हैं वह तो हम अपने माता-पिता से प्राप्त करते हैं, लेकिन जो हमारे जीवन का लक्ष्य है वह हमें आप लोगों के द्वारा प्राप्त होता है। आप लोग भी हमारे माता पिता के समान हैं जिससे आप लोगों को पूरा हक है कि जब भी हम गलती करें तो आप लोग हमें डांटे, समझाएं और सही रास्ता दिखाएं।

 शिक्षक कभी अपने विद्यार्थी का बुरा नहीं चाहेगा इसलिए सभी विद्यार्थियों को चाहिए कि वह अपनी सारी कठिनाई और समस्या शिक्षक को बताएं ताकि वह हमे सही मार्ग दिखा सकें। यह तो है कि अगर आप जैसे शिक्षक हमें शिक्षा देंगे तो हम अवश्य अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करेंगे। हम चाहे कितने भी आगे निकल जाएं, कितना भी नाम और पैसा कमा लें किंतु इसके पीछे जिनका हाथ है हम उस शिक्षक को कभी नहीं भूल सकते।

 धन्यवाद 

जमीला खातून
कक्षा- 5
 प्राथमिक विद्यालय नाऊमुंडा सुकरौली 
जनपद कुशीनगर