विवेक विश्वकर्मा
कक्षा 5
प्राथमिक विद्यालय नाऊमुंडा
सुकरौली, कुशीनगर
एक बार की बात है। एक गाँव मे दो लकड़हारे रहते थे। एक का नाम राम था और दूसरे का नाम राजू था। राम रोज सुबह राजू के घर जाता और उसे बुलाता। राजू उठता, कुल्हाड़ी लेता और राम के साथ जंगल मे लकड़ी काटने को चल देता।
एक दिन रोज की तरह राम राजू के घर उसे बुलाने गया। उसने आवाज लगाई- 'राजू! चलो जंगल मे लकड़ियाँ काटने।' तब राजू ने कहा की तुम जाओ मैं आज नही जाऊँगा। राम ने जब इतना सुना तो वह अकेले ही जंगल में लकड़ी काटने चल दिया।
चलते-चलते उसने एक बड़ा-सा पेड़ देखा। देखते ही राम दौड़ता हुआ उस पेड़ के पास पहुँचा और पेड़ को काटने लगा। लेकिन पेड़ कट नही रहा था और अजीब-सी आवाज कर रहा था।
राम थक गया और पास ही कटे हुए पेड़ पर बैठ गया। अचानक बहुत तेज आँधी आई। राम उस कटे पेड़ पर बैठा ही रहा। जिस पेड़ को राम काट रहा था वह पेड़ आँधी मे गिर गया। राम ये सब देख कर हैरान हो गया। आँधी खतम हो गई। राम गिरे हुआ पेड़ के पास गया तो देखा की पेड़ के जड़ से थोड़ा-सा उपर सोना-चाँदी था। राम ने सोचा कि इसीलिए पेड़ नही कट रहा था। वह इधर-उधर देख कर सब सोना-चाँदी वहा से उठा लिया और अपने घर को चल दिया।
घर पहुँचते ही यह सब बात अपनी पत्नी से बताई। पत्नी यह सब सुनकर बहुत खुश हुई और कहा कि जल्दी से एक घर बनवाओ। राम ने सोना-चाँदी बेचकर एक सुंदर-सा घर बनवाया और खुशी से रहने लगा।
यह सब देखकर राजू पछताने लगा और अपने मन मे सोचने लगा कि राम के साथ मुझे भी जाना चाहिए था। लेकिन समय बीत जाने पर पछताने से क्या फायदा।