सुरभि विश्वकर्मा
कक्षा 5
प्राथमिक विद्यालय खरजरवा
जनपद-देवरिया, उ०प्र०
मेरा परिवार
मानव को समूह में रहने वाले सामाजिक प्राणी के रूप में जाना जाता है जिसे परिवार कहते हैं। परिवार दो प्रकार के होते हैं- छोटा परिवार तथा संयुक्त परिवार।
छोटे परिवार में माता-पिता और बच्चे होते हैं जबकि संयुक्त परिवार में माता-पिता, बच्चे, दादा-दादी, चाचा-चाची आदि होते हैं।
मेरा परिवार एक संयुक्त परिवार है जो कि एक मध्यमवर्गीय परिवार है। मेरे परिवार में ग्यारह सदस्य है-माता-पिता, चाचा चाची, दादी-दादा, मै और मेरी बहनें। मेरा परिवार एक पूर्ण, सकारात्मक और खुशहाल परिवार है जो मुझे और मेरी बहनों को बहुत प्यार और सुरक्षा देता है। मैं अपने परिवार में बहुत खुश हूँ क्योंकि यह मेरी देखभाल करता है और मेरी सभी जरूरतों को पूरा करता है।
मेरी मम्मी मुझे प्यार करती है और हमारी देखभाल करती है । वह हमेशा ही स्वादिष्ट नाश्ता और दोपहर का खाना देती हैं। मेरे पापा भी मुझे प्यार करते है और हमारे पढ़ने - लिखने में मदद करते हैं। वह हमारी सभी जरूरतों को पूरा करते हैं।
हम सब खुशी-खुशी सभी त्योहारों को मिलजुल कर मनाते हैं और एक दूसरे को अच्छे उपहार देते हैं। हमारे दादा-दादी हमें अच्छी कहानियाँ सुनाते हैं और प्रेरणा व शिक्षा देते हैं। वह हमें कृषि कार्य के बारे में बताते हैं और साथ ही साथ पशु और पक्षियों के बारे में भी पूरी जानकारी देते है।
मेरा परिवार मुझे जीवन में सफलता, अनुशासन समय की पाबंदी, स्वच्छता और कड़ी मेहनत जैसी अच्छी आदतें सिखाता है। मैं बहुत भाग्यशाली हूँ और परिवार में ऐसे प्यारे और सावधान सदस्यो को पाकर बहुत खुश हूँ। हम सब घर के कार्यों में एक - दूसरे की मदद करते हैं जिससे कि बड़ा कार्य भी आसानी से पूरा हो जाता है।
इस प्रकार हम समझते है कि परिवार किसी भी व्यक्ति के विकास के लिए एक शुरुआती पाठशाला होती है। यहाँ बच्चा बोलना और चलना सीखता है। परिवार में ही हमको एक -दूसरे के साथ मिलजुल कर रहने की सीख मिलती है। परिवार समाज की एक छोटी कड़ी है।
अच्छे और समझदार परिवार से ही मिलकर एक अच्छे गाँव का निर्माण होता है, समाज का निर्माण होता है। इस प्रकार एक अच्छे परिवेश का निर्माण होता है।