SHALINI PASWAN
PMV BHAGAURA,
Block- SAHAJANVA
Gorakhpur, Uttar Pradesh
पर्यावरण संरक्षण (कविता)
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पर्यावरण बचाने निकलो,
हे बहनों- भाई ।
घुटने लगा है दम, अब
तो मचने लगी है तबाही ।।
जीवों को ना तुम सताओ।
वृक्षों को ना तुम कटाओ।।
पर्वत पुकारते हैं ।
नदियों को ना तुम रूलाओ।।
प्रकृति से जीव का ना हो जुदाई ।
घुटने लगा है दम __________।।
बाग बगीचे कहाँ है?
पेड़ो के झूले कहाँ है?
भौंरे न तितलियाँ है ।
चिड़ियों का न कारवां है।।
कोयल की कूक है प्यारी।
जो देती नहीं अब सुनाई।।
घुटने लगा है दम ________।।
वाहनों का शोरगुल है।
खामोश भी बुलबुल है ।।
अब तो ऐसा हो गया ।
सूरज बेचारा भी गुल है।।
सब कुछ बिगाड़ कर।
तू क्यो दे रहा है सफाई ।।
घुटने लगा है दम _______।।
पर्यावरण बचाने निकलो,
हे बहनों -भाई ।
घुटने लगा है दम ,अब तो ।
मचने लगी है तबाही ।।
जय प्रकृति जय पर्यावरण