मंगलवार, 30 जून 2020

पर्यावरण संरक्षण (कविता)

 SHALINI PASWAN  
 PMV BHAGAURA, 
Block- SAHAJANVA 
 Gorakhpur, Uttar Pradesh

पर्यावरण संरक्षण (कविता)
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पर्यावरण बचाने निकलो,
                   हे बहनों- भाई ।
घुटने लगा है दम, अब 
          तो मचने लगी है तबाही ।।

जीवों को ना तुम सताओ।
वृक्षों को ना तुम कटाओ।।
     पर्वत पुकारते हैं ।
नदियों को ना तुम रूलाओ।।
प्रकृति से जीव का ना हो जुदाई ।
घुटने लगा है दम __________।।

बाग बगीचे कहाँ है?
पेड़ो के झूले कहाँ है?
भौंरे न तितलियाँ है ।
चिड़ियों का न कारवां है।।
कोयल की कूक है प्यारी।
जो देती नहीं अब सुनाई।।
घुटने लगा है दम ________।।

वाहनों का शोरगुल है।
खामोश भी बुलबुल है ।।
अब तो ऐसा हो गया ।
सूरज बेचारा भी गुल है।।
सब कुछ बिगाड़ कर।
तू क्यो दे रहा है सफाई ।।
घुटने लगा है दम _______।।
पर्यावरण बचाने निकलो,
           हे बहनों -भाई ।
घुटने लगा है दम ,अब तो ।
         मचने लगी है तबाही ।।

       जय प्रकृति जय पर्यावरण